ओ करोना, या जो भी तुम जो हो ना,

- Mayank

Corona Poem hindi

ओ करोना, या जो भी तुम जो हो ना,
क्यों बिन बुलाये इस महफ़िल में आई,
और आज तक आपने प्रस्थान की तिथि क्यों ना बताई,
यूं अडिग अतिथि जैसी रहो ना, ओ करोना।

अरे ओ कोरोना, जरा सुन तो लो ना,
पीड़ितों के लगाए शतक,
फिर लगाए शतको के शतक,
अपने को सचिन तेंदुलकर समझो ना, ओ कोरोना।

ओ करोना, तनिक हमारी पीड़ा बूझ तो लो ना,
मास्क लगा कर सबका मुँह किया बंद,
महामारी, लाचारी, भुखमरी, खर्चे से हम तंग,
कभी खुलने दो मुँह, यूं घरवाली की तरह बनो ना, ओ करोना।

ओ करोना, यूं कलयुग की केकैई बनो ना,
मनुष्यों के बीच बढ़ाई दूरी,
अपनों को भी ना गले लगाने की मज़बूरी,
इतनी ईर्ष्या हमारे खुशहाल परिवार से करो ना, ओ करोना।

ओ करोना, कदाचित खुद को कठोर कालसर्प का ख़िताब दो ना,
अपने मृत परिजनों को भी छूने का रोक,
बंद एक कमरे में, नकारात्मक सोच को दिमाग में दिया है झोंक,
करुणा से यूं वंचित रहो ना, ओ करोना |

अच्छा अब सुन लो, कोरोना !
आखिरी हँसी हमारी होगी,
आखिरी हाथ तुम ही धोगी,
कब तक बचोगी, जल्द ही नई वैक्सीन का अविष्कार है होना,
ओ करोना, या जो भी तुम जो हो ना |

करोना Corona Covid

Dummywriter के द्वारा:

यह कविता मैं उन लोगो को समर्पित करना चाहते हूँ, जो इस कोरोना की जंग में निडरता और साहस के साथ पीड़ित लोगो और प्रशासन का साथ दे रहे है। जब यह कविता की रचना की गयी थी, तब स्वयं मुझे कोरोना से पीड़ित होने के लक्षण पाए जा रहे थे।


 

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4 thoughts on “ओ करोना, या जो भी तुम जो हो ना,”

    1. Thank you.
      अगर आप भी कुछ अपने असली अंदाज़ में बया करे तो मज़ा आ जाए 🙂

  1. Nice poem jiju ….. i wish corona could listen to the pain we all are suffering from . Anyways … stay safe and healthy

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