मुझसे मत पूछो, मेरी बेरुखी का सबब;
मुहब्बत उसूलों से होती है, नापाक इरादों से नहीं;
ये मेरे दिल से, धुआं सा क्या उठ रहा है;
आग दिलों में लगती है, ग़लीज़ वादों में नहीं;
बेरहम रात ढलती रही, बेमुरव्वत, बेअदब;
छल उजालों से डरता है, आबनूसी सन्नाटों से नहीं;
ज़िन्दगी तू हर लम्हा, करती रही मुझसे फ़रेब;
खुशबू फूलों से आती है; चुभते काँटों से नही |
2 thoughts on “मेरा पन्ना…”
Great Poem,very nostalgic
जब भी मैं इस पन्ने पर आता हूँ, आपके शब्दों में खो जाता हूँ। कृप्या ऐसे और लिखते रहिये।
Comments are closed.