समय की विभीषिका पर अपनों का साथ ...
- Rakhi
गुज़र जाएगा गुज़र जाएगा
मुश्किल बहुत है मगर वक्त ही तो है
गुज़र जाएगा, गुज़र जाएगा
जिंदा रहने का ये जो ज़ज्बा है, फिर उभर आएगा
माना मौत चेहरा बदल कर आई है
माना रात काली है, भयावह है, गहराई है
मगर यकीन रख मगर यकीन रख
ये बस लम्हा है, दो पल में बिखर जाएगा
जिंदा रहने का ये जो ज़ज्बा है, फिर असर लाएगा
संकट के इस दौर में अपनो का साथ फिर उभर आएगा…..
प्रसिद्व अभिनेता अमिताभ बच्चन द्वारा रचित यह कविता अपने आप में सत्य है, कि जीवन कभी भी ठहरता नहीं है, सब कुछ कभी खत्म होता नहीं है।
वर्तमान परिवेश में कोरोना वायरस जैसी , वैश्विक महामारी ने मानव जीवन में अनेक ऐसी उल्झने एवं व्याधियां उत्पन्न कर दी है, जहां एक आम इंसान ना उम्मीद हो चुका है, वहीं दूसरी ओर संपूर्ण समाज त्राहि-त्राहि कर रहा है। न्यूज चेनलों द्वारा प्रदर्शित कोरोना मरीजो के हाल, फेसबुक, इंस्ट्राग्राम, गूगल, यूट्यूब जैसे सभी सोशल मिडिया पर लगातार एक ही चर्चा ने मानव के आत्मविश्वास को झकझोर के रख दिया है। इन घटनाओं को लगातार सुनते-सुनते मानव जीवन आज संकट एवं आशंकाओं के रेगिस्तान में तड़प रहा है। मुश्किल के ऐसे दौर में संकल्प एवं संयम ही एकमात्र ऐसी निर्मल गंगा है, जो कि इस व्याधि से आहत मनुष्य को शीतल बूंदों के रूप उसकी अंतर्निहित शंकाओं को मिटा सकती है।
संकट के ऐसे दौर में जीवन कितना ही निरर्थक क्यों न लगे, ऐसे समय में केवल अपने परिवार का साथ ही हमें इस विषम परिस्थिति में अपना सहयोग दे सकता है। माता-पिता अपने बच्चों से बहुत स्नेह करते हैं, एवं उनके सुख के लिए कुछ भी करने को सदा तत्पर रहते हैं, परेशानियों के इस दौर में एकता का प्रतीक कहे जाने वाले संयुक्त परिवारों ने अपनी अहम भूमिका निभाई है। मम्मी-पापा, चाचा-चाची, भैया-भाभी, एवं दादा-दादी ने अनेक रोचक किस्से एवं कहानियों से हमारा मनोबल बढ़ाकर इस जंग से हमें सकारात्मक रूप से लड़ने का सहारा दिया है और यह समझाया कि विपरीत परिस्थितियों में यह जानना महत्वपूर्ण नहीं है कि, हमें जीवन से क्या अपेक्षा है बल्कि यह जानना महत्वपूर्ण है कि इस समय जीवन को हमसे क्या अपेक्षा है, मानवता ने बड़े-बड़े जीवन अस्तित्व के संकटों के बीच उजालों को खोजा है, और इसी प्रकार हमारे अपनों का साथ, संयम, संकल्प एवं समर्पण ही कोरोना जैसी महामारी के भय को हमारे जीवन से हटाकर उम्मीद की एक नई किरण पैदा करेगा।
लेकिन वर्तमान मे इस महामारी के कारण घर-घर में पारिवारिक तनाव की स्थिति लगातार बढ़ रही है। शारिरिक गतिविधियाँ कम हो रही है। ज्यादातर वक्त घर पर ही कट रहा है इन सभी कारणों की परिणिति बहसबाजी, हताशा, चिड़चिड़ापन एवं गुस्से के रूप मे निकल रहा है। इस प्रकार की आपसी पारिवारिक कलह एवं तनावों का दुष्परिणाम यह भी है कि लोगों की मानसिक स्थिति क्षीण होती जा रही है।
मनुष्य के जीवन मे ऐसी अपरिहार्य दशाओं में हम इसे बेहतर बनाने के लिए और क्या कर सकते हैं
●सर्वप्रथम तो अपने जीवन को तनाव रहित करने के लिए अपने दिन की शुरूआत मार्निंग वाक, योगाभ्यास, हल्की-फुल्की एक्सरसाइज़ के साथ करें ताकि आपका मन प्रसन्न रहे।
●अगर घर का कोई सदस्य हमसे नाराज़ हो या हमसे कोई अनुचित व्यवहार करे तो ऐसी दशा में परिवार का सदस्य होने के नाते उसकी परेशानियों को समझकर उसकी समस्याओं को सहजभाव से समझने की चेष्ठा करें।
●ऐसे वातावरण मे घरों की स्त्रियाँ अपने घरेलू कामकाजों में व्यस्त हो जाती हैं एवं अपने मन में अनेक कुंठाओं एवं भ्रांतियों की शिकार हो जाती हैं इसलिए यह आवश्यक है कि ऐसे समय में खुद को मत भूलिए, खुद से प्यार कीजिए एवं हो सके तो संगीत का लुत्फ उठाकर हम अपना मनोरंजन काम के साथ बेहतर ढंग से कर सकते हैं ।
●यद्यपि मेरे लिए यह कहना सार्थक होगा कि ऐसी विषम परिस्थितियों में मनुष्य के भीतर जन्मा तनाव एक ऐसा ज्वार है, जिसके कारण व्यक्ति अपने काम को संभाल नहीं पाता ओर अजीबोगरीब व्यवहार करता है, ऐसे समय में परिवार के सदस्य उनसे बात करने की कोशिश करें ताकि उनके मन का गुबार निकल सके।
●आपके परिवार का कोई ऐसा सदस्य जिस पर आपको पूरा विश्वास हो उससे अपने मन की बात साझा करें, या ऐसे समय में आप अपनी डायरी भी लिख सकते हैं।
●अपने शौक के लिए समय जरूर निकाले एवे नए-नए तकनीक या कौशल को सीखने का प्रयास करें। इसके लिए विभिन्न स्कूलों, कॉलेजो अन्य शासकीय संस्थाओं द्वारा भी निःशुल्क आनलाईन प्रोग्राम कराए जा रहे हैं, जिन्हें बच्चो के साथ-साथ हम भी ज्वाइन कर सकते हैं, एवं अपना ज्ञानवर्धन व विकास कर सकते हैं।
●और अंत मे अपनी सुरक्षा ही सबसे बड़ा हथियार है, ऐसे समय पर घर से सुरक्षित ढंग से बाहर निकले, सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन करें एवं मास्क लगाएँ । अपने आप को व्यस्त रखने का प्रयास करें ऐसे समय में आप परिवार के साथ-साथ बेहतरीन पुस्तकों, उपन्यासों, घर के विभिन्न कार्यों में अपना योगदान, एवं बच्चों के साथ मनोरंजन खेल खेलना, तथा अपने इष्ट का ध्यान कर उन पर अपनी सशक्त आस्था रख आप अपने तनाव पर निश्चित रूप से विजय प्राप्त कर सकते हैं।
Dummywriter के द्वारा:
वर्तमान में कोरोना जैसी महामारी से उपजे तनाव ने मनुष्य के जीवन को हताश कर दिया है , न जाने कितने बेघर हो गए , कितनों की नौकरियाँ चली गयी , कितनों से अपनों का साथ हमेशा के लिए छूट गया, लेकिन मुश्किल की ऐसी घड़ी में केवल अपनों का साथ ही जीने का एक नया जज्बा पैदा करेगा एवं हमारे जीवन में एक नयी रोशनी लाएगा; प्रस्तुत आलेख इस महामारी के समय पर मानव के मन की व्यथा एवं परिवार के साथ को उम्मीद का नया रास्ता बताकर उसके मन के कुंठाओं के प्रति एक आशावादी’ दृष्टिकोण के रूप में प्रस्तुत किया है|
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