Book Review: Nectar in a Sieve

- By Neerav

Title of the Book : Nectar in a sieve , Name of Author : Kamala Markandaya,

Name of the Publisher : John Day Company (US) , Putnam (UK) , Place of Publication : India ,

Year of Publication : 1954   

लेखिका के बारें में (About the Author)

उपन्यासकार और पत्रकार कमला पूर्णनिया टेलर (१९२४-१६ मई २००४;) द्वारा प्रयुक्त छद्म नाम। कमला मार्कंडेय भारत के मैसूर की एक मूल निवासी थी जो मद्रास विश्वविद्यालय से स्नातक थी, और बाद में उन्होंने भारतीय समाचार पत्रों में कई लघु कथाएँ प्रकाशित कीं। भारत द्वारा अपनी स्वतंत्रता की घोषणा करने के बाद,  कमला मार्कण्डेय ब्रिटेन चली गयी,  हालांकि उन्होंने खुद को एक भारतीय प्रवासी के रूप में लंबे समय तक स्थापित किया  ।

कमला  मार्कण्डेय  को  भारतीय शहरी और ग्रामीण समाजों के बीच संस्कृति संघर्ष के बारे में लिखने के लिए जाना जाता है  । कमला मार्कंडेय का पहला प्रकाशित उपन्यास, Nectar in a Seive, एक बेस्टसेलर था और 1955 में एक अमेरिकन लाइब्रेरी एसोसिएशन ने इसे उल्लेखनीय पुस्तक के रूप में उद्धृत किया । अन्य उपन्यासों में  Some Inner Fury (1955), A Silence of Desire (1960), Possession (1963), A Handful of Rice (1966), The Nowhere Man (1972), Two Virgins (1973).

संक्षेप (Synopsis )

Work without hope draws nectar in a sieve,

And hope without an object cannot live.”

 

Nectar in a Sieve  यह उपन्यास भारत में तीव्र शहरी विकास की अवधि के समय गरीबी, भूख, एवं मानव मर्यादा का एक अद्भुत सम्मिश्रण को सुन्दर कहानी में प्रस्तुत किया है   ।  यह कहानी  दक्षिण भारत के अंचल में स्थिति एक महिला किसान रुक्मणि पर आधारित है , जिसका विवाह एक किरायेदार किसान नाथन  के साथ एक बाल वधू के रूप में होता है ।   कर्मठ एवं पतिव्रता रुक्मणि अपने पति के साथ दृढ़ता एवं साहस  को समेटे हुए अपने पति के साथ जमीन पर काम  करती है  जो सूखे, मानसून और कीड़ों द्वारा तबाह हो जाती  है , वह बदलते समय को पूरा करने और गरीबी और आपदा से लड़ने की कोशिश  करती है । उसका एक शिशु भुखमरी से जाता है  , उसकी बेटी एक वेश्या बन जाती है, और उसके बेटे नौकरी के लिए जमीन छोड़ देते हैं,  जिसे वह स्वीकार कर लेती है और   उपन्यास के अंत तक वह  इस संघर्ष  में जीत जाती है।

मुख्य पात्र (Main Characters)

रुक्मणी

गाँव के मुखिया के घर जन्मी रुक्मणी का गाँव में  सामाजिक अस्तित्व बिगड़ जाता है, महज बारह साल की हो जाती है और शादी के लिए तैयार इस उम्मीद से तैयार हो जाती है हो जाती है कि उसकी शादी भी बड़ी बहनों की तरह ही एक शानदार शादी होगी। हालांकि, ब्रिटिश शासन के तहत उसके परिवार  बुरी परिस्थितियों से घिर जाता है, और रुक्मणी की  भूमिहीन किरायेदार किसान नाथन से शादी हो जाती है जब वह पहली बार अपने लिए तैयार मिटटी की कुटी में नाथन को देखती है, तो वह अपने मन में उसकी तुलना अपने पिता के बढ़िया घर से करती है और डर और निराशा में जमीन पर गिर जाती है फिर आक्रोश में आने के बजाय, रुक्मणी  नाथन की अभिव्यक्ति को स्वीकार करती है । इस कठिन शुरुआत के बाद, रुक्मणी अपने बेहतर स्वभाव को विकसित करती है  । वह एक किसान की पत्नी के काम सीखती है और जल्द ही एक शानदार सब्जी का बाग़ बनती है ।  रुक्मणी अपनी भूमि के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ जाती है । वह अन्य महिलाओं की मदद करना सीखती है, जिससे चमड़े का कारख़ाना, गांव में आने वाले अप्रिय बदलावों को स्वीकार कर भूख का सामना करना सीखती है। रुक्मणी को कई नुकसान का सामना करना पड़ता है, उसके धैर्य का लगातार परीक्षण किया जाता है, परतुं  उसके क्रोध सहने की उसकी शक्ति  जाती है – लेकिन उसकी जीवन जीने की शक्ति बढ़ती जाती है। कुंती कई बार रुक्मणी को केनी के साथ संबंध बनाने का सुझाव देती है । कुंती के कारण रुक्मणी गलती से अपनी बेटी इरा को मार देती है ।  रुक्मणी अपने अस्तित्व की कठिनाइयों को किस तरह सामना करती है और अपने पति के साथ; लंबे और मजबूत कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहती हैं।

 

नाथन

रुक्मणी की तरह, नाथन एक मेहनती किसान है ।  एक युवा पति के रूप में, वह एक दिन किसी भूमि का मालिक होने की आशा में रहता है। हालांकि, हर गुजरते साल के साथ चमड़े के कारखाने ; पूरे ग्रामीण परिदृश्य का नियंत्रण हासिल कर लेते है, और नाथन की आशा कम होती जाती है। उसके बेटे एक किसान के जीवन की जगह और अन्य व्यवसायों को अपना लेते है तो  नाथन का दिल टूट जाता है, फिर भी वह उनमें से किसी को भी उनके बेहतर भविष्य के लिए अपनी उम्मीदों का बलिदान देने से माना कर देता है। बुरे समय के बावजूद, नाथन बहुत खुश रहता है और खुशी देने में सक्षम होता है और एक अच्छी फसल की संभावना उसे हमेशा प्रोत्साहित करती है। वह दीपावली में अपने बेटों के साथ खुशी से नाचता है । अक्सर वह चतुराई से रुक्मणी की प्रशंसा भी करता है । वह उस भोजन को नहीं खाता जो उसकी बेटी  वेश्यावृत्ति से खरीदती है, न ही वह मंदिर में भोजन के लिए एक जानवर की तरह लड़ता है जैसा कि अन्य करते हैं। उसकी मृत्यु के समय, मंदिर के ऊपर लगा दीया बुझ जाता है क्योंकि उसकी आत्मा उसके पीड़ित शरीर से मुक्त हो जाती है। जिस भूमि से वह प्यार करता है, नाथन उसके प्रति अच्छे स्वभाव की मिसाल देता है।

 

कुंती

कुंती और रुक्मणी समान परिस्थितियों में पड़ोसी होते है, कुंती एक बहुत अलग जीवन चुनती है। जहां रुक्मणी एक वफादार पत्नी बनती है, कुंती एक दुल्हन के रूप में कृतघ्न बनती है । वह पहले नाथन को लुभाती है और बाद में युवा चमड़े के का कारखाने के कार्यकर्ताओं का ध्यान आकर्षित करने के लिए अपनी सुंदरता और अपनी मोहक क्षमता का उपयोग करती है। कुंती के लिए, चमड़े का कारख़ाना का मतलब उत्साह और विलासिता है, जबकि रुक्मणी के लिए यह सौंदर्य, स्वास्थ्य और मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है। कुंती ; रुक्मणी और केनी को अवैध संबंध के लिए कहती है रुक्मणी को जोखिम में डालने की धमकी देती है ;   लेकिन जैसे-जैसे कुंती की स्थिति और अधिक गंभीर होती है ,  रुक्मणी और नाथन दोनों को  धमकी देकर रखा हुआ अनाज ले लेती है, कुंती की शक्ति उनके डर से आती है और रुक्मणी और नाथन उसे संतुष्ट करने के लिए अपने परिवार की भुखमरी का जोखिम उठा लेते है  ,  अंत में सच्चाई के साथ रुक्मणी और नाथन उसकी शक्ति को तोड़ देते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

आजादी के ठीक बाद भारत के जीवन पर प्रकाश डालने वाली बहुत सी कहानियाँ हैं, लेकिन कुछ ही, अमृत की तरह अलग होती है जैसे की Nectar in a sieve । यह भारतीय साहित्य में श्रेष्ठ उपन्यास है जो एक किसान के मूल और सरल जीवन को बाहर लाता है, जिसमें दक्षिण भारत का ग्रामीण परिदृश्य हैः ।

लेखिका कमला मार्कंडेय ने गरीबी को किताब के मुख्य विषय के रूप में केंद्रीत करते हुए एक गाँव की महिला का एक छोटी लड़की के रूप में, एक बेटी के रूप में, एक पत्नी के रूप में, एक माँ के रूप में और एक दोस्त के रूप में अपने पति के साथ जीवन दर्शाया है ।

लेखक ने एक स्वतंत्र भारत की पृष्ठभूमि पर एक भारतीय गांव को चित्रित किया है जिसमे चावल के धान के खेतों के साथ यहां-वहां खिलने वाली वनस्पतियों, लाल पत्थर की सड़कों की धूल, नदी, मिट्टी की झोपड़ियाँ, संकीर्ण सोच वाले और अनपढ़ गाँव के लोग, अंधविश्वास, बच्चे का रोना और कड़ी मेहनत करने वाले ग्रामीणों का दर्शाया है। लेखक ने उस युग में पीछे चल रहे सामाजिक राजनीतिक, सांस्कृतिक मानदंडों और विश्वासों पर भी प्रकाश डाला था जो वर्तमान समय के नियमों और मान्यताओं के विपरीत है।

उपन्यास के पात्र भारतीय किसानों और उनके परिवार द्वारा उनके ईमानदार और वास्तविक  आचरण के माध्यम से  कठिनाइयों को दर्शाते हैं। रुक्मणी के मुख्य चरित्र को सरल , धैर्यवान महिला, एक मेहनतकश मां, एक निष्ठावान और समर्पित पत्नी और एक आज्ञाकारी बेटी सुन्दर रूप से चित्रित  किया है । रुक्मणी के जीवन की दर्दनाक यात्रा के माध्यम से मार्मिकता और सहानुभूति को दर्शाया है, कि कैसे एक  मासूम और प्यारी सी लड़की का जीवन बदल जाता है और प्यारी सी बच्ची का दिल भी   टूटता है, यह इस किताब के पन्नों से पाठकों को बांधे रखने के लिए पर्याप्त है।  

संक्षेप में, यह उपन्यास की रुक्मणी , भारत के इतिहास और वर्तमान भी में सुनाई पड़ती है । इसे हर भारतीय को एक बार पढ़ना चाहिए और किसान के संघर्ष और भारत की आत्मा जो ग्रामीण अवस्था में है उसको समझना चाहिये ।

यह  पुस्तक जो उन सभी लोगों के लिए पढ़ी जानी चाहिए जो भारतीय चीजों से प्यार करते हैं और जो आर के नारायण और मुल्क राज आनंद और रस्किन बॉन्ड जैसे भारतीय लेखकों के लेखन को पसंद करते हैं।

My Rating : 4 star

Goodread.com  book rating : 3.5 star

Book is available in Amazon Kindle Edition , Hardcover and PaperBack

From The DummyWriter:

I have tried to read more books by Indian authors. I’m so glad that I picked up Nectar in a Sieve because it is a hidden gem. It’s poignantly rich and despairing writing left a mark on me.
This book was basically the diary of the main character, Rukmani. From the get go the emotions were raw and real. Very realistic, beautiful , touching, powerful and emotional story

After reading the book, I have decided to review in Hindi Language because it is our mother tongue and, our identity and medium to bind us emotionally. I strongly believe communicating and expressing in your own mother tongue establishes a close bondage with your family, friends, colleagues.

10 thoughts on “Book Review: Nectar in a Sieve”

  1. आपने बहुत ही खूबसूरती से इस कहानी की व्याख्या की है। ये रचना अत्यंत मार्मिक और हृदय विदारक है। इस कहानी का शीर्षक भी अति रोचक है – जो अमृत और जीवन के खुशियों के क्षणिक होने का संकेत देता है। भारतीय संस्कृति का चित्रलेखन जितनी बखूबी लेखिका ने किया है उतनी ही निपुणता और सरलता से आपने इसे हमलोगो से अवगत कराया। आपको अनेक धन्यवाद और बधाई।

    1. बहुत-बहुत धन्यवादl यह छोटा सा प्रयास है भारत के साहित्कारो के उपन्यास को खोजने का जो वास्तविकता का अन्वेषण करते हैं l आप लोग के सहयोग से इस प्रयास को और बल मिलेगा l फिर से एक बार धन्यवादl

  2. In these times of vlog reviews on multiple platforms, it is a daring act to choose blogging as a medium of expression of your views. Your choice of Hindi as a language could prove to be a blessing in disguise for the individuals who wish to read English literature but face the language barrier. With the hope of seeing more and better articles in this space, I wish you all the best for your future posts. Keep it up!

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